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जिंदगी में अंधेरे से उजाले की ओर का सफर

जिंदगी में अंधेरे से उजाले की ओर का सफर

चल उठ ढूंढ तू अपना वजूद
ये वक्त अभी तेरा है
ऊगने को सूरज भी तैयार है
फिर एक नया सबेरा है।
सम्मान का है अधिकारी तू
एक नए पहचान की है अधिकारी तू
जिंदगी भले ही हो छोटी
जो पल है उनमें खिलकर मुस्कुरातें रहें।
कल का कुछ पता नही
हर पल खुशी से जी लें
मंजिल की तलाश में भटक न जाएं
आओ आसमां से आगे निकल जाएं।
जिंदगी के लिए तो सभी बेचैन है
कोई मौत को भी अपने नाम करो
रोशन करो उसे जो अंधेरा में है
यही तो जिंदगी में
अंधेरे से उजाले की ओर का सफर है।
जिंदगी के मायने अब बदल से गए है
जिंदगी ने न जाने कितने इम्तिहान लिए है
सभ्यता और संस्कृति तो हमारे संस्कार है।
सफर लंबा है अपना ख्याल रखना जरूरी है
मन उड़ता है कल्पना में
रच जाता है सपनों का संसार
दूर रहें सपनों के संसार से
जहां से निकलना होता है मुश्किल
यही तो जिंदगी में
अंधेरे से उजाले की ओर का सफर है।

नूतन लाल साहू

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बेहतरीन अभिव्यक्ति

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